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गाय भैंस

गाय भैंस का बच्चा पेट में घूम जाए तो क्या करें किसान

गाय भैंस का बच्चा पेट में घूम जाए तो क्या करें किसान

गर्भित पशुओं में गर्भाशय का अपने लम्बे अक्ष पर घूम जाने को गर्भाशय में ऐंठन आना कहा जाता है। यह समस्या गाय भैंस में ज्यादा मिलती है। कभी-कभी घोड़ी, भेड़ तथा बकरी में भी यह परेशानी देखी जाती है। जो पशु पहले बच्चे दे चुके हैं उनमें इस बीमारी की सम्भावना अधिक होती है। यह समस्या गर्भावस्था की अन्तिम 2 माह में होने की ज्यादा सम्भावना होती है। इस दशा के होने पर पशु बहुत ही अधिक पीड़ा में होता है और तुरंत निवारण न होने पर पशु की मृत्यु हो सकती है। 

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 अन्य पशुओं की तुलना में गाय और भैंसों में गर्भाशय की शारीरिक रचना में अन्तर होने के अतिरिक्त गर्भित पशुओं के गर्भाशय का कम स्थिर होना इस दशा का मुख्य कारण है। गर्भाशय में अस्थिरता के कई कारण हो सकते हैं जैसे - पशु के उठने तथा बैठने दोनों ही दशाओं में शरीर का पिछला हिस्सा अधिक ऊॅचाई पर होता है और इस दशा में दूसरे पशु से धक्का लगने, फिसलने या गिरने पर गर्भाशय आसानी से घूम जाता है। बच्चे का गर्भाशय के दो में से किसी एक हार्न में होने के कारण भी गर्भाशय की स्थिरता कम रहती है और गर्भाशय आसानी से घूम जाता है। बच्चे के बहुत अधिक हलचल के कारण भी गर्भाशय में ऐंठन आ सकती है। गर्भित पशुओं का गर्भावस्था के अन्तिम महीनों में वाहन में लम्बी यात्रा, दूसरे पशुओं सेे झगड़ा, गिरना, कूदना, भागना इत्यादि भी गर्भाशय के घूम जाने के कारण हो सकते हैं। भैंसों का पानी या कीचड़ में लोटने की आदत भी गर्भाशय के घूम जाने का एक मुख्य कारण है। पशुओं के भोजन मेें पोषक तत्वों की कमी, पशुओं के रखने के स्थान का समतल न होना आदि भी इस समस्या के लिये उत्तरदायी हो सकता हैै। 

गर्भाशय में बच्चा घूमने से बचने के उपाय:

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लक्षण

जब गर्भाशय में बहुत कम डिग्री की ऐंठन होती है तो पशु में सामान्यतः कोई लक्षण नहीं मिलते हैं परंतु अधिक डिग्री होने पर कई प्रकार के लक्षण दिख सकते है। इस समस्या के चलते पशु के पेट में दर्द, भूख न लगना, जुगाली न करना तथा शरीर के ताप का गिर जाना, बार-बार उठना, बैठना तथा जमीन पर लोटना पैर खींचना अथवा पेट में लात मारना, बेचैन होना, ब्याने के लिए जोर लगाना इत्यादि दिक्कतें आमतौर पर दिखती हैं। गर्भावस्था के पूर्ण होने पर भी बच्चा न होना तथा योनी से किसी प्रकार के द्रव्य का स्राव न होना इस दशा के लक्षण है। कभी-कभी दशा अधिक खराब होने पर या समय पर उपचार न होने पर पशु की मृत्यु भी हो जाती है। 

रोकथाम के उपाय

गर्भावस्था के अंतिम दिनों में गर्भित पशु को लम्बी यात्रा पर न जायें। गर्भित पशुओं को दूसरे पशुओं से अलग स्थान पर रखने की व्यवस्था करें। गर्भित पशु को रखने का स्थान समलत होना चाहिए। गर्भित पशु को गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक हलचल जैसे - कूदना, भागना इत्यादि न करने दें। भैंसों को गर्भावस्था के अंतिम दिनों में पानी या कीचड़ में न छोड़ें । गर्भित पशुओं को पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार दें। गर्भावस्था के अंतिम दिनों में बताये गये लक्षणों के दिखने पर बिना विलम्ब किये किसी पशु चिकित्सक को पशु दिखायें अथवा सलाह लें।

गाय भैंसों की देखभाल गर्मी के दिनों में कैसे करें (Taking care of cow & buffaloes in summer in Hindi)

गाय भैंसों की देखभाल गर्मी के दिनों में कैसे करें (Taking care of cow & buffaloes in summer in Hindi)

आज हम बात करेंगे, कि बेहद गर्मियों के मौसम में गाय और भैंसों की देखभाल किस तरह से करनी चाहिए। ताकि उनको गर्मी के मौसम में किसी भी तरह का कोई नुकसान ना हो सके और वह किसी भी प्रकार से रोग ग्रस्त ना हो। 

गाय भैंसों की देखभाल गर्मियों के मौसम में

पशुपालन के लिए गर्मी का मौसम बहुत ही नुकसानदायक होता है क्योंकि गर्मियों के मौसम में पशुओं की देखभाल करना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में पशुपालन अपनी कमर कस लेते हैं और अपने पशुओं जैसे: गाय-भैंसों की देखभाल की स्थिति को बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास करते हैं ताकि वह गाय-भैंसों को इस भीषण गर्मी के तापमान से बचा सके। गर्मियों के मौसम में वातावरण का तापमान लगभग 42 - 48 °c सेल्सियस तक पहुंच जाता है कभी-कभी और ज्यादा भी हो सकता है। जिसके चलते गर्मी में पशुपालन करते समय पशुओं की विशेष रूप से देखभाल की जरुरत होती है।तापमान के इस दबाव के चलते पशुओं की पाचन प्रणाली तथा दूध उत्पादन में भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। जब यह पशु नवजात शिशु को जन्म देते हैं, और इस गर्मी के मौसम में उनकी ज़रा भी देखभाल में की गई कमी उनकी जान के लिए घातक साबित हो सकती है।थोड़ी भी लापरवाही नवजात शिशुओं की जान पर बन आती है।

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गर्मियों के मौसम में पशुओं की स्वास्थ्य की देखभाल

गर्मियों के मौसम में  किसी भी स्थिति में पशुओं के स्वास्थ्य के साथ की गई लापरवाही।उनके स्वास्थ्य पर काफी हानिकारक प्रभाव डालती है। जिसके चलते पशु पालन करने वालो का निर्यात का साधन भी बंद हो सकता है ऐसे में पशुपालन को चाहिए कि अपना निर्यात का साधन बनाए रखने के लिए पशुओं की खास देखभाल करें।पशुओं की खास देखभाल करने के लिए निम्न बातों का पूर्ण रुप से ध्यान रखे:

  • सर्वप्रथम पशु पालन करने वाले भाइयों को हरा चारा अधिक से अधिक गर्मियों के मौसम में गाय और भैंसों को देना चाहिए। क्योंकि गाय और भैंस इन हरे चारों को बहुत ही चाव से खाते हैं , हरे चारे में मौजूद 70 से 90% जल की पूर्ण मात्रा होती है जिससे पशुओं के शरीर में जल की पूर्ति होती है।
  • गर्मियों के मौसम में गाय भैंस और अन्य पशुओं को भूख कम लगती हैं अथवा प्यास ज्यादा लगती हैं। ऐसी स्थिति में पशुपालन को दिन में कम से कम 3 बार स्वच्छ और साफ सुथरा पानी गाय ,भैंसों को देना चाहिए। जिसे पीकर उनके शरीर का तापमान पूर्ण रूप से नियंत्रण में रहता है, कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पानी में थोड़ा सा आटा व नमक मिलाकर पिलाना पशुओं के लिए उपयोगी होता है।शुष्क मौसम के लिए ऐसा करना लाभदायक होता है तथा शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है।
  • पशुपालन गर्मियों के दिनों में अपने पशुओं को चारे में एमिनो पाउडर तथा ग्रो बी-प्लेक्स का मिश्रण देते हैं जो पशुओं के लिए बहुत ही उपयोगी होता है।
  • बढ़ती गर्मी के कारण पशुओं को भूख कम लगना शुरू हो जाती है ऐसी स्थिति में पशुपालन उनको ग्रोलिव फोर्ट (Grow live Forte) देते हैं। जिसे खाकर उनके शरीर में भोजन का पूर्ण निर्यात हो सके। गर्मियों के प्रभाव से पशुओं की पाचन प्रणाली पर काफी बुरा असर पड़ता है। ऐसे में ग्रोलिव फोर्ट पशुओं में खुराक की मात्रा को बढ़ाता है।
  • पशुओं से दूध प्राप्त करने के बाद उन्हें हो सके, तो ठंडा पानी पिलाएं ऐसा करने से उनके शरीर में ठंडक पहुंचेगी। तीन से चार बार पशुओं को ताजा ठंडा पानी पिलाना बहुत ही जरूरी है प्रतिदिन गर्मियों के मौसम में पशुपालन को अपने पशुओं को ठंडे पानी से स्नान कराना चाहिए।पशुपालन भैंसों को तीन से चार बार गर्मियों के दिनों मे स्नान कराते हैं तथा गायों को दो बार नहलाते हैं।
  • गर्मियों के मौसम में गाय भैंस आदि पशुओं को खाद पदार्थ जैसे रोटी, आटा ,चावल आदि पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए।यह कार्बोहाइड्रेट की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ हैं।पशुओं को संतुलित आहार के रूप में चारे तथा दाना जिसकी मात्रा 40 और 60 के बीच की हो आहार के रूप में दें।
  • आने वाली बरसात से पशुओं को बचाने के लिए उनका टीकाकरण जरूर कराएं। टीकाकरण कराने से पशु कई प्रकार की बीमारियां जैसे गलाघोंटू , खुरपका मुंहपका , लंगड़ी बुखार आदि से खुद का बचाव कर सकेंगे। समय-समय पर गाय भैंस पशुओं को एलेक्ट्रल एनर्जी की भी आवश्यकता होती है। ऐसे में इन को समय-समय पर आपको एलेक्ट्रल एनर्जी एनर्जी देनी होगी

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गर्मियों के दिनों में पशु आवास की व्यवस्था

  • गर्मियों के दिनों में गाय और भैंसों के लिए उचित आवास व्यवस्था करनी चाहिए , क्योंकि गर्मियों के दिनों में तापमान तेज होने के कारण भूमि पूरी तरह से गर्म रहती है जिसके चलते उनके शरीर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में आपको कुछ सावधानी बरतनी चाहिए यह सावधानियां कुछ इस प्रकार हैं:
  • सर्वप्रथम गर्मियों के दिनों में गाय और भैंसों को हमेशा पेड़ की छांव के नीचे बांधना चाहिए जिससे उनका धूप से बचाव हो सके।
  • जिस भी जगह पर आप अपने पशुओं को बांधे उसकी छत पर आपको सूखी घास या फिर आपको कडबी रखनी चाहिए। ऐसा करने से छत को गर्म होने से पूरी तरह से रोका जा सकता है और छत का तापमान ठंडा रहेगा। पशुपालकों को पशुओं के आवास के लिए अपने पक्के मकानों में इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • जरूरत से ज्यादा आपको पशुओं को बांधकर नहीं रखना है। जैसे ही शाम होने लगे आपको पशुओं को चरने के लिए छोड़ देना है और जहां भी पशु आवास करते हैं। उन जगहों पर बोरे की छाल लगा देनी चाहिए जिससे कि ताजी और ठंडी हवा उन तक पहुंच सके।
  • यदि पशुपालन करने वाले पशुओं को छायादार वृक्षों के नजदीक पशुशाला का निर्माण करते हैं। तो इससे पशुओं का तापमान संतुलित बनाए रखने में सहायता मिलती हैं।
  • इन आसान तरीकों को अपनाकर नवजात पशु तथा गाय-भैंसों वह दुधारू पशुओं की उच्च ढंग से देखभाल की जा सकती है। तथा इन उपायों के अनुसार गर्मियों के भयानक प्रकोप से पशुओं का बचाया किया जा सकता है और उनसे विभिन्न प्रकार के उत्पादन की भी प्राप्ति की जा सकती है।

हमारी इस पोस्ट में गाय और भैंसों की देखभाल करने की पूर्ण जानकारी दी गई है। कि किस प्रकार गर्मियों के दिनों में उनकी खास देखभाल की जरूरत है ताकि उनको किसी भी तरह की कोई भी परेशानी ना हो और वह ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कर सकें। यदि आपको हमारी दी हुई जानकारी अच्छी लगी हो, तो आप हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।